SIPRI ने बताया भारत के हथियार आयात में पांच वर्षों के दौरान आई इतनी गिरावट

भारत को लगता है कि पाकिस्तान और चीन से बढ़ते खतरे हैं और बड़े हथियार बनाने की अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं में काफी देरी हुई है।
सिपरी की नजर में भारत। सांकेतिक चित्र
सिपरी की नजर में भारत। सांकेतिक चित्रSyed Dabeer Hussain - RE

हाइलाइट्स-

  • सिपरी की नजर में भारत

  • दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक

  • 24वां सबसे बड़ा हथियार निर्यातक

राज एक्सप्रेस। भारत के हथियार आयात में पिछले पांच वर्षों के दौरान 33% तक गिरावट हुई है। हालांकि इसके बावजूद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक देश भी है।

सिपरी (SIPRI) की रिपोर्ट -

ग्लोबल थिंक-टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI/सिपरी) ने सोमवार को दुनिया में हथियारों के आयात के बारे में जानकारी जारी की है।

अंतर राष्ट्रीय हथियारों के हस्तांतरण के बारे में सोमवार को जारी किए गए सिपरी के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 2016-2020 के दौरान भारत की कुल वैश्विक हथियारों के आयात की तुलना में 9.5% सहभागिता रही।

इन सालों में गिरावट -

वर्ष 2011-2015 और 2016-2020 के बीच भारत में हथियारों के आयात में 33% तक गिरावट हुई। हालांकि दुनिया में हथियारों के सबसे बड़े आयातक सऊदी अरब के बाद भारत इस सूची में दूसरे क्रम पर है।

हथियार आयातकों की सूची -

इस खास फेहरिस्त में सउदी अरब (11%) सबसे पहले नंबर पर है। इसके बाद भारत, इजिप्त (5.8%), ऑस्ट्रेलिया (5.1%) और चीन (4.7%) हैं। इस स्पेशल लिस्ट में पाकिस्तान को 10 वें (2.7%) स्थान पर रखा गया है।

टॉप थ्री आर्म्स सप्लायर्स -

साल 2016-2020 के दौरान भारत के शीर्ष तीन हथियार आपूर्तिकर्ता रूस (49%), फ्रांस (18%) और इज़रायल (13%) थे। इसके बाद अमेरिका चौथे स्थान पर था।

सिपरी ने बताई वजह -

सिपरी ने जटिल और लंबी खरीद प्रक्रिया के साथ संयुक्त रूप से रूसी हथियारों पर निर्भरता को कम करने के प्रयासों को भारत के हथियारों के आयात में 33% की गिरावट का जिम्मेदार ठहराया है।

रूस प्रमुख आपूर्तिकर्ता -

स्वीडिश थिंक-टैंक ने कहा कि भारत के मामले में रूस सबसे अधिक प्रभावित आपूर्तिकर्ता था, लेकिन अमेरिका से भारत के हथियारों के आयात में भी 46% कमी आई है।

पिछले 15 वर्षों में भारत ने हथियारों के आयात के लिए अमेरिका, फ्रांस और इजरायल की ओर बढ़ते हुए अपने हथियारों के आयात को निश्चित रूप से व्यापक आधार दिया है।

लेकिन भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग किए जाने वाले 1.5 मिलियन मजबूत हथियारों में 60% से अधिक हथियार प्रणालियां अभी भी रूसी मूल की हैं।

डेटा में इनको छोड़ा -

इसके अलावा हथियारों पर SIPRI का सांख्यिकीय डेटा प्रमुख हथियार प्रणालियों की वास्तविक डिलीवरी से संबंधित है। इसलिए इसमें रूस के साथ भारत के उन मेगा सौदों को शामिल नहीं किया गया है जिसके लिए अभी डिलीवरी शुरू होना बाकी है।

इनमें 2018 में S-400 ट्राइंफ (S-400 Triumf) सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम के लिए 5.43 बिलियन डॉलर और 2019 में अकुला-1 (Akula-1) परमाणु ऊर्जा से लैस पनडुब्बी की 3 बिलियन डॉलर की लीज शामिल है।

विदेशी निर्भरता कम हो -

भारत ने हाल के वर्षों में रक्षा औद्योगिक तंत्र की मजबूती के साथ ही विदेशी हथियारों पर निर्भरता को कम करने और आत्मनिर्भरता के मकसद से कई अहम नीतिगत फैसले लिए हैं। हालांकि इसे अभी जमीन पर साकार होना बाकी है।

सिपरी का मानना -

सिपरी की रिपोर्ट में उल्लेख है, “जैसा भारत को लगता है कि पाकिस्तान और चीन से बढ़ते खतरे हैं और बड़े हथियार बनाने की अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं में काफी देरी हुई है, यह हथियारों के आयात के लिए बड़े पैमाने पर कार्यक्रम की योजना बना रहा है... उनसे आने वाले पांच वर्षों के दौरान आयात में वृद्धि करने की उम्मीद की जाती है।”

पाकिस्तान में हथियार आयात-

पांच साल की दो अवधि के बीच पाकिस्तान द्वारा शस्त्र आयात में भी 23% की कमी आई, लेकिन 2016-2020 में चीन का इस आयात में 74% हिस्सा रहा। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि साल 2028 तक पाकिस्तान को कई बड़ी डिलीवरी मिलने वाली हैं। इसमें 50 लड़ाकू विमान, आठ पनडुब्बी और चीन के चार के साथ ही तुर्की से चार फ्रिगेट का आयात भी शामिल है।

पांच बड़े निर्यातक -

सिपरी के मुताबिक साल 2016-20 में बड़े हथियारों के मामले में पांच सबसे बड़े हथियार निर्यातक अमेरिका (37% शेयर), रूस (20%), फ्रांस (8.2%), जर्मनी (5.5%) और चीन (5.2%) थे। कुल निर्यात में इन सभी निर्यातों का हिस्सा 76% रहा।

24वां बड़ा निर्यातक -

भारत को हथियार निर्यातकों के मामले में 24 वें स्थान पर रखा गया, जो कुल वैश्विक आंकड़े का 0.2% है। भारत से हथियारों के तीन प्रमुख आयातक म्यांमार, श्रीलंका और मॉरीशस हैं।

भारत सरकार का लक्ष्य -

भारत की केंद्रीय सरकार ने वर्ष 2024 तक एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं और सेवाओं में 5 बिलियन डॉलर के निर्यात सहित 25 बिलियन डॉलर का टर्नओवर प्राप्त करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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