काबुल की सुरक्षा अब हक्कानी नेटवर्क के हाथ
काबुल की सुरक्षा अब हक्कानी नेटवर्क के हाथSocial Media

तालिबान ने दुनिया की बढ़ाई टेंशन- काबुल की सुरक्षा अब हक्कानी नेटवर्क के हाथ

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल की सुरक्षा की जिम्मेदारी की कमान आतंकी संगठन तालिबान ने हक्कानी नेटवर्क को सौंप, दुनिया की टेंशन को बढ़ा दी है।

अफगानिस्तान। अफगानिस्तान में तालिबानियों जिस तरह से देश पर कब्जा किया है, उसे हालात काफी खराब हैं। इस बीच आतंकी संगठन तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल की सुरक्षा की जिम्मेदारी की कमान हक्कानी नेटवर्क को सौंपी दुनिया की टेंशन को बढ़ा दी है।

दुनियाभर की सुरक्षा एजेंसियों की बढ़ी चिंता :

आतंकी संगठन तालिबान द्वारा हक्कानी नेटवर्क को काबुल की सुरक्षा मिले जाने के बाद से दुनियाभर की सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है। क्योंकि, हक्कानी नेटवर्क पूरी दुनिया समेत भारत के लिए भी बड़ा खतरा है और तो और इसी हक्कानी नेटवर्क ने अफगानिस्तान में भारतीय ठिकानों पर आतंकी हमले करने में पहले भी शामिल रहा है।

हक्कानी नेटवर्क के बारे में :

हक्कानी ग्रुप पाकिस्तान में पैदा हुआ था। उसने धीरे-धीरे अफगानिस्तान तक अपना प्रभाव बढ़ा लिया और अब वो तालिबान के साथ मिल कर बड़ी आतंकी वारदातों को अंजाम देता है।तालिबान द्वारा सुरक्षा की जिम्मेदारी जिस हक्कानी नेटवर्क को दी है, उसका अलकायदा से संबंध है और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) हक्कानी नेटवर्क पर सीधे कंट्रोल करती है। गौरतलब है कि जलालुद्दीन हक्कानी ने अपने हक्कानी नेटवर्क की स्थापना साल 1970 में की थी। ऐसा माना जाता है कि, साल 2001 में हक्कानी नेटवर्क ने ही ओसामा बिन लादेन को भागने में सहायता की थी। हक्कानी के गुनाहों की लिस्ट काफी लंबी है।

बता दें कि, खलील हक्कानी, हक्कानी नेटवर्क के चीफ सिराजुद्दीन हक्कानी का चाचा है और उसकी आतंकी गतिविधियों की वजह से अमेरिका ने खलील हक्कानी पर 50 लाख डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है। खलील हक्कानी खुलेआम जनसंपर्क कर रहा है, अब वो आतंकी काबुल का सुरक्षा इंचार्ज बन गया है, लेकिन अमेरिका कुछ नहीं कर पा रहा है।

अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति का तालिबान को समर्थन :

तो वहीं, इसी बीच अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई ने तालिबान (Taliban) का समर्थन करने का ऐलान किया है।

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