दुनिया में कोरोना वायरस के बीच एक नए 'मारबर्ग' वायरस ने दी दस्तक

दुनिया में अब कोरोना के साथ ही मारबर्ग वायरस नाम के एक नए वायरस की पुष्टि हुई है। जो, पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी में से सामने आया है। इस वायरस की पुष्टि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने की है।
दुनिया में कोरोना वायरस के बीच एक नए 'मारबर्ग' वायरस ने दी दस्तक
दुनिया में कोरोना वायरस के बीच एक नए 'मारबर्ग' वायरस ने दी दस्तकSocial Media

राज एक्सप्रेस। देशभर में पिछले साल से ही कोरोना का आंकड़ा बेकाबू है। अब भी घटबढ़ के साथ मामले लगातार सामने आ ही रहे है। देश में हर दिन हजारों लोगों की जान जा रही हैं। ऐसे में देश में अब एक-एक करके नई बीमारियां जन्म लेती ही जा रही हैं। कुछ ही दिनों में पूरे भारत से ब्लैक फंगस, यलो फंगस ग्रीन फंगस और डेल्टा, डेल्टा प्लस के ममले सामने आरहे थे। वहीं, अब मारबर्ग वायरस नाम के एक नए वायरस की पुष्टि हुई है। वहीं, अब पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी में से इसका एक मामला सामने आया है। जिसकी पुष्टि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने की है।

नए वायरस की पुष्टि :

दरअसल, दुनियाभर के देशों में अब भी कोरोना का कहर जारी है। हालांकि, कई देशों में मामलों में कमी भी दर्ज की गई है। इसी बीच दुनिया में मारबर्ग नाम के एक नए वायरस ने दस्तक दे दी है, जो काफी खतरनाक बताया जा रहा है। बता दें, पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी से मारबर्ग वायरस का पहला मामला मिलने की पुष्टि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने की है। WHO द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि, 'यह वायरस खतरनाक और जानलेवा इबोला वायरस से संबंधित है।' इस वायरस के कोरोना से ज्यादा खतरनाक होने के कारण वैज्ञानिकों की चिंताएं काफी बढ़ गईं हैं।

WHO का कहना :

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि, 'यह वायरस संभवत: चमगादड़ों में पाया जाता है। इस वायरस की मृत्यु दर 88% तक होती है।' WHO के बयान से ये समझना आसान हो जाता है कि, मारबर्ग वायरस कितना खतरनाक है। हालांकि, कोरोना के होने का कारण भी शुरुआती तौर पर चमगादड़ को ही बताया जा रहा था। बताते चलें, दो महीने पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गिनी में इबोला वायरस की दूसरी लहर के खत्म होने की घोषणा की थी और अब इस नए जानलेवा मारबर्ग वायरस की पुष्टि हुई है। WHO फिलहाल इस व्यक्ति में यह संक्रमण कहां से आया इसका पता करने में जुटा हुआ है।

इंसानों में कैसे फैलता है वायरस ?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 'इंसानों में मारबर्ग वायरस का संक्रमण चमगादड़ों के संपर्क में आने से फैलता है। एक बार जब कोई व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित हो जाता है, तो यह कोरोना की तरह ही इंसानों से इंसानों के सीधे संपर्क से फैल सकता है। यह संक्रमित लोगों के खून, अंगों या अन्य शारीरिक तरल पदार्थ और सतहों के माध्यम से भी फैलने में सक्षम है।' इस मामले में अफ्रीका के WHO के क्षेत्रीय निदेशक डॉ मात्शिदिसो मोएती ने कहा कि इस वायरस में दूर-दूर तक फैलने की क्षमता है, इसलिए हमें इसे जल्द से जल्द रोकने की जरूरत है।

मारबर्ग वायरस के लक्षण : 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक,

  • गंभीर रक्तस्रावी बुखार

  • तेज बुखार

  • तेज सिर दर्द

  • गंभीर अस्वस्थता

  • मांसपेशियों में दर्द 

  • गंभीर पानी जैसा दस्त

  • पेट में दर्द और ऐंठन 

  • मतली और उल्टी

  • सुस्ती 

  • आंखों का कमजोर होना 

बता दें, इसके लक्षण दो से 21 दिनों के बीच नजर आ सकते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया :

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि, 'मारबर्ग वायरस से संक्रमण के बाद कई मरीजों में सात दिन के भीतर गंभीर रक्तस्राव की समस्या विकसित हो सकती है और घातक मामलों में आमतौर पर शरीर में कई जगहों से रक्तस्राव होता है। उल्टी और मल के माध्यम से तो शरीर से खून निकलता ही है, साथ ही नाक और मसूड़ों से भी खून बहने की समस्या होती है। घातक मामलों में मरीज की मौत आमतौर पर शुरुआत संक्रमण के 8 से 9 दिनों के बीच हो जाती है। मारबर्ग वायरस रोग (MVD) को अन्य संक्रामक रोगों जैसे मलेरिया, टाइफाइड बुखार, शिगेलोसिस, मेनिन्जाइटिस और अन्य वायरल रक्तस्रावी बुखार से चिकित्सकीय रूप से अलग करना मुश्किल हो सकता है। लक्षणों के अलावा एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट, सीरम न्यूट्रलाइजेशन टेस्ट और आरटी-पीसीआर टेस्ट आदि से इसके संक्रमण की पहचान की जा सकती है।'

मारबर्ग वायरस का इलाज :

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि, 'मारबर्ग वायरस का वर्तमान समय में कोई भी उपचार नहीं है। हालांकि, इसके इलाज के लिए वैज्ञानिकों द्वारा प्रतिरक्षा उपचारों और दवा उपचारों सहित संभावित उपचारों की एक श्रृंखला का मूल्यांकन किया जा रहा है। शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ-साथ मरीज की उचित देखभाल और लक्षणों का बेहतर उपचार संक्रमण से उबरने में मदद कर सकता है।'

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