विश्व पाई दिवस
विश्व पाई दिवसSyed Dabeer Hussain - RE

14 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है विश्व पाई दिवस? इसके मान में छुपा है इसका राज

कई लोगों का यह मानना है कि पाई के मान की खोज आर्यभट्ट ने 5वीं सदी में ही कर दी थी। उन्होंने एक श्लोक द्वारा पाई का मान समझाया था। जानिए क्या है वह श्लोक?

International Pi Day : हर साल 14 मार्च का दिन दुनिया में International Pi Day यानि विश्व पाई दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणित में पाई का खास स्थान है। अगर पाई नहीं होता तो हमें पता ही नहीं चलता कि हमारी पृथ्वी गोल है। आमतौर पर गणना करने के दौरान पाई का अनुमानित मान 3.14 माना जाता है। इसके अलावा पाई का एक अन्य मान 22/7 भी है। तो चलिए आज विश्व पाई दिवस पर जानते हैं, इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में।

14 मार्च को क्यों मनाया है पाई दिवस?

बता दें कि 14 मार्च को पाई दिवस मनाने के पीछे बड़ी ही दिलचस्प वजह है। दरअसल पाई का अनुमानित मान 3.14159 होता है। अंग्रेजी कैलेंडर में मार्च तीसरा महिना होता है, वहीं 14 को मार्च की 14वीं तारीख माना गया। इसी तरह 159 को दोपहर की 1 बजकर 59 मिनट मानते हुए 14 मार्च को दोपहर एक बजकर उनसठ मिनट पर यह दिवस मनाया जाता है। साल 2009 में यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने 14 मार्च को राष्ट्रीय पाई दिवस के रूप में स्वीकार किया।

पाई की खोज किसने की थी?

दरअसल माना जाता है कि यूनानी वैज्ञानिक आर्कीमिडिज ने तकरीबन 287 ईसा पूर्व में पाई की खोज की थी। हालांकि आधुनिक युग में इसका इस्तेमाल तभी से किया जाने लगा जब साल 1737 में लियोनहार्ड यूलर ने पाई के प्रतीक का इस्तेमाल किया था। हालांकि इसके अलावा भी पाई की खोज को लेकर कई तरह की धारणाएं हैं।

आर्यभट्ट ने की थी खोज :

कई लोगों का यह भी मानना है कि पाई के मान की खोज आर्यभट्ट ने 5वीं सदी में ही कर दी थी। उन्होंने एक श्लोक द्वारा पाई का मान समझाया था। वह शलोक है -

‘चतुराधिकं शतमष्टगुणं द्वाषष्टिस्तथा सहस्राणाम्। अयुतद्वयस्य विष्कम्भस्यासन्नो वृत्तपरिणाहः॥‘

इसका मतलब होता है 100 में 4 जोड़ें, 8 से गुणा करें, 62000 जोड़ें और इस नियम से 20000 परिधि के एक वृत्त का व्यास पता लगाया जा सकता है।

(100 + 4) x 8 +62000/ 20000= 3.1416

यानि इस श्लोक से पाई का सही मान निकलता है। यही कारण है कि लोग मानते हैं कि आर्यभट्ट ने पाई का मान कई सालों पहले निकाल लिया था। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि आर्यभट्ट ने ही सबसे पहले कहा था कि पृथ्वी गोल है।

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