शीर्ष न्यायालय ने फेरा कमलनाथ की उम्मीदों पर पानी, दिए कड़े निर्देश

प्रदेश में मचे सियासी घटनाक्रम के फ्लोर टेस्ट मसले पर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई।
शीर्ष न्यायालय ने फेरा कमलनाथ की उम्मीदों पर पानी
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राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश सियासी संकट या यों कहें सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुआ सुनवाईयों का दौर। प्रदेश में मचे सियासी संकट में आगे क्या नया मोड़ सामने आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है हाल ही जहां राजधानी भोपाल में भाजपा कार्यालय में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हंगामे की खबरें सामने आई वहीं सुप्रीम कोर्ट में चल रहे फ्लोर टेस्ट मामले में कल स्थगित हुई सुनवाई आज यानि गुरूवार को शुरू हुई है। जिसमें गुरुवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर को जल्द फ्लोर टेस्ट कराने को कहा है। वहीं स्पीकर की ओर से पेश वकील सिंघवी ने दो हफ्ते का समय मांगा है।

पूर्व मंत्री शिवराज की याचिका पर जारी सुनवाई

बता दें कि, भाजपा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फ्लोर टेस्ट को लेकर याचिका दायर की थी, जिसमें गुरूवार को हुई सुनवाई में विधानसभा स्पीकर की ओर से पक्ष रख रहे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा, विधायकों के इस्तीफों पर फैसला लेने का अधिकार सिर्फ स्पीकर का है, लेकिन उनके अधिकार में दखल देने का प्रयास किया जा रहा है और फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपा जा रहा है। जिसमें सिंघवी ने कोर्ट से मोहलत मांगते हुए कहा, इस्तीफों पर विचार करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया जाए। वहीं कांग्रेस के बागी विधायकों को वापस उनके घर भोपाल आने दें।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने उठाए सवाल

इस सुनवाई में इस्तीफों को लेकर सवाल उठाते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, क्या स्पीकर ने इस्तीफों की जांच की है? सिंघवी ने कहा, स्पीकर को जांच करने में लगभग 2 हफ्ते का समय लगेगा। जस्टिस ने कहा जोड़तोड़ को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए, जल्द फ्लोर टेस्ट हो। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, क्या स्पीकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हो सकते हैं? इस पर सिंघवी ने कहा, विधानसभा अध्यक्ष के अधिकारों में दखल नहीं दिया जाना चाहिए। नई सरकार में 16 लोग फायदा ले लेंगे। सिंघवी ने ये भी कहा कि, आप दो हफ्तों का समय दीजिए। विधायकों को नोटिस जारी हो चुका है। वक्त मिलते ही निश्चिंतता के साथ फ्लोर टेस्ट हो जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने दिए आदेश

जिसके बाद इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के 16 बागी कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला एक दिन के भीतर लेने के आदेश दिए हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि 16 बागी विधायकों की वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग होगी और अदालत इसके लिए एक पर्यवेक्षक नियुक्त करेगी। शीर्ष न्यायालय ने प्रस्ताव देते हुए कहा कि बागी विधायक तटस्थ स्थान पर विधानसभा अध्यक्ष के सामने खुद को पेश कर सकते हैं।

कल सुनवाई हुई थी स्थगित

इस सुनवाई से पहले बीते दिन सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में कमलनाथ सरकार और विपक्ष समेत बागी विधायकों की दलीलों का दौर शुरू हुआ था जिसमें तर्कों की प्रस्तुति के बाद सुनवाई आज यानि गुरूवार 10ः30 तक के लिए स्थगित हो गई थी।

पूर्व मंत्री शिवराज का तंज

इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर पूर्व मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, उन्हें और समय क्यों चाहिए? खरीद- फरोख्त में संलग्न होने के लिए? अब वे जानते हैं कि उनके पास संख्या नहीं है। यह कुछ और स्थानान्तरण करने का बहाना है।

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