कुपोषण खत्म करने की ये कैसी मांग, अंडा नहीं मुर्गी दो

मध्यप्रदेश में आंगनबाड़ियों में बच्चों को अण्डा वितरित किए जाने के फैसले पर प्रदेश में बवाल मचा हुआ है।
ये कैसी मांग, अंडा नहीं मुर्गी दो
ये कैसी मांग, अंडा नहीं मुर्गी दोSocial Media

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश में आंगनबाड़ियों में बच्चों को अण्डा वितरित किए जाने के फैसले पर प्रदेश में बवाल मचा हुआ है। इस बात को लेकर शुक्रवार को नीमच में जिला पंचायत की साधारण सभा की बैठक में दिलचस्प प्रस्ताव पास किया गया है। इसमें आंगनबाड़ी केंद्रों पर अंडे के बजाय सीधे मुर्गियां देने की मांग की गई है।

बैठक में सदस्यों ने इसके पीछे दिया तर्क

जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती अवंतिका जाट, सीईओ भव्या मित्तल व मनासा विधायक माधव मारू की मौजूदगी में हुई बैठक में सदस्यों ने इसके पीछे तर्क दिया कि प्रत्येक आंगनबाड़ी में 10-20 मुर्गियां दे देंगे तो वहां कार्यकर्ता इन्हें पालेंगी। इससे बच्चों को ताजे अंडे मिल पाएंगे।

जिला पंचायत सदस्य ने कहा-

इस बात पर जिला पंचायत सदस्य ने कहा कि रोजाना अंडे कहां से मंगाएंगे, इंजेक्शन वाले अंडे बांटने से बच्चों की सेहत खराब हो सकती है। ऐसे में मुर्गी पालना ठीक रहेगा। महिला बाल विकास अधिकारी संजय भारद्वाज ने बिंदु नोट किए और प्रस्ताव शासन को भेजा जाना तय हुआ। गौरतलब है कि जिला पंचायत में भाजपा का स्पष्ट बहुमत है। सदस्यों ने सर्वानुमति से प्रस्ताव काे मंजूरी दे दी।

बता दें कि, प्रदेश सरकार द्वारा आंगनबाड़ियों में पोषण आहार के तौर पर बच्चों को आगामी एक अप्रैल 2020 से अंडे बांटे जाएंगे की बात हुई। जिसके लिए प्रदेश सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसके लिए 1-6 साल तक के बच्चों सहित गर्भवती-गर्भधात्री महिलाओं को सप्ताह में तीन दिन अंडे दिए जाने की योजना है। योजना में यह भी शामिल किया गया है कि, जो भी बच्चा या महिला अंडा नहीं खाना चाहती, उन्हें एक अंडे की कीमत के फल दिए जाएंगे। जिसके विभाग द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि, प्रदेश से ही अंडो की पूर्ति हो ताकि ताजा अंडे आंगनबाड़ियों तक तुरंत पहुंच जाएं।

1 दिसंबर को धरना

वहीं इस संबंध में वैश्य महासम्मलेन भोपाल संभाग की ओर से 1 दिसंबर को सामूहिक धरना दिया जाएगा। तत्पश्चात प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन को ज्ञापन सौंपा जाएगा। वैश्य महासम्मेलन के संभागीय अध्यक्ष चन्द्रकुमार जैन ने बताया- धरने में राजधानी के साधु संत समाज का पूरा मार्गदर्शन और सहयोग है उनके साथ अनेक सामाजिक संगठनों के लोग भी धरने में शामिल होंगे। राजधानी के साधु संतों के मार्गदर्शन के साथ अनेक सामाजिक संस्थाओं का समर्थन सांकेतिक धरने को प्राप्त हुआ है। आंगनबाड़ी में अण्डे वितरण करना भारतीय संस्कृति के साथ घोर खिलवाड़ है।

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