स्पष्टवादी गडकरी के सुर चंद घंटों में बदलने से उठे ये सवाल

स्पष्ट राय रखने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के सुर अगले ही कुछ घंटों में बदलने पर राजनीतिक हलकों में अपने ही मतलब निकाले जा रहे हैं।
प्रतीकात्मक चित्र।
प्रतीकात्मक चित्र।Social Media

हाइलाइट्स –

  • चंद घंटों में उपजे ढेरों सवाल!

  • क्यों बदले स्पष्टवादी गडकरी के सुर?

  • "लेकिन क्या उनके बॉस सुन रहे हैं?"

  • आपका नंबर आने वाला है : जयराम रमेश

राज एक्सप्रेस। कोरोना फाइटर मेडिसिन बनाने के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की सलाह की ही तरह स्पष्ट राय रखने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के सुर अगले ही कुछ घंटों में बदलने पर राजनीतिक हलकों में अपने ही मतलब निकाले जा रहे हैं।

उन्होंने कहा था -

कि अधिक कंपनियों को टीके बनाने की अनुमति दी जानी चाहिए। उनका कथन पूर्व पीएम डॉ. सिंह की प्रतिध्वनि की ही तरह माना जा रहा है। लेकिन रातों-रात, गडकरी ने स्पष्ट किया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि सरकार ने पहले ही "इन प्रयासों को शुरू कर दिया है।"

चंद घंटों में उपजे ढेरों सवाल! -

अव्वल तो इस बात पर चर्चा लाज़िमी है कि देश के अनगिनत नागरिकों की ही तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वरिष्ठतम सहयोगियों में से एक, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी इस बात से "अनजान" हैं कि आखिर 'कोविड मोर्चे' पर क्या-क्या हो रहा है?

फास्टैग मंत्री ने की थी वकालत -

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री गडकरी ने मंगलवार को वकालत की थी कि अधिक कंपनियों को कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सिन (Covaxin) उत्पादन की अनुमति दी जाए।

फास्टैग मिनिस्टर की सलाह लगभग उसी तर्ज पर थी, जिनका जिक्र पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले महीने लिखे पत्र में किया था।

यह पीएम के नाम लिखी उसी पाती की बात है जिसका जवाब स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने तेजाबी अंदाज में दिया था। उस अंदाज की सोशल मीडिया में जमकर भर्त्सना भी हुई थी।

क्या बॉस सुन रहे हैं? -

बीजेपी के स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के जवाब देने के कौशल की जहां सोशल मीडिया में खिंचाई हुई, वहीं गडकरी के बयान के बाद विपक्ष का एक ट्वीट जरूर चर्चा में रहा। ...क्या "बॉस" सुन रहे हैं।

अपने बयान के बाद गडकरी ने रातों-रात स्पष्ट किया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि "सरकार ने पहले ही "इन" प्रयासों को शुरू कर दिया है।"

कारण दबाव तो नहीं? -

भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक विपक्ष द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए गडकरी के सुझाव का इस्तेमाल करने के कारण बाद में गडकरी पर स्पष्टीकरण जारी करने के लिए "दबाव" बनाया गया।

अहम बात -

यह है कि गडकरी जैसे वरिष्ठ मंत्री का राष्ट्रीय आपातकाल से लड़ने के लिए उठाए गए कदमों से "अनजान" होना, इस बात का प्रमाण है कि; मोदी सरकार में निर्णय लेने की क्षमता कितनी गहरी है!

प्रकरण का तात्पर्य यह है कि क्या शीर्ष पर लिए जा रहे निर्णयों पर कैबिनेट में चर्चा नहीं की जाती है? हालांकि संवैधानिक योजना में महत्वपूर्ण उपायों के लिए कैबिनेट की मंजूरी अनिवार्य है।

आभासी सलाह थी –

आरएसएस से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच के आभासी कार्यक्रम में गडकरी ने कनिष्ठ रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया को वैक्सीन उत्पादन गति बढ़ाने के संबंध में मंगलवार को सुझाव दिया था।

क्या कहा था? -

“एक के बजाय 10 और कंपनियों को वैक्सीन निर्माण का लाइसेंस दिया जाए… हर राज्य में क्षमता वाली 2-3 प्रयोगशालाएं हैं। उन्हें (वैक्सीन) फॉर्मूला दिया जाना चाहिए और वे रॉयल्टी दे सकते हैं।”

नितिन गडकरी, एक आभासी कार्यक्रम के दौरान

विपक्ष को मिला मुद्दा -

गडकरी का यह आभासी बयान सोशल मीडिया में तब सुर्खी बन गया जब बुधवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मोदी पर कटाक्ष करने के लिए गडकरी की टिप्पणी का हवाला देकर किसी का नाम लिए बगैर लिखा –

"लेकिन क्या उनके बॉस सुन रहे हैं?" “डॉ मनमोहन सिंह ने 18 अप्रैल को यही तो सुझाव दिया था।“ आप ट्वीट को खुद देखिये भी, सुनिये भी और जयराम रमेश ने क्या लिखा उसे पढ़िये भी।

जयराम यहीं नहीं रुके बल्कि अपने अगले ट्वीट में नितिन गडकरी को उपहासात्मक नसीहत तक दे डाली। “लगे रहो नितिन जयरामजी गडकरी! आपका नंबर आने वाला है...”

कल तक था अनजान! -

अपनी सलाह के बारे में ट्विटर पर मची गदर के बाद चंद घंटों में ही फास्टैग मिनिस्टर गडकरी ने मनसुख मंडाविया को समर्पित एक ट्वीट में अपने बयान की सच्चाई पर पर्दा हटा/डाल दिया! उन्होंने तड़ातड़ तीन ट्वीट करते हुए एक ट्वीट में लिखा कि; -

"कल सम्मेलन में भाग लेते हुए ... मैंने वैक्सीन उत्पादन में तेजी लाने का सुझाव दिया। मैं इस बात से अनजान था कि मेरे भाषण से पहले रसायन और उर्वरक मंत्री ... ने सरकार के प्रयासों को बढ़ाने के बारे में बताया था।“

“मैं इस बात से अनजान था कि कल मेरे द्वारा सुझाव देने से पहले उनके मंत्रालय ने ये प्रयास शुरू कर दिए थे। मैं खुश हूं और सही दिशा में इस समय पर हस्तक्षेप के लिए उन्हें और उनकी टीम को बधाई देता हूं। मैं इसे रिकॉर्ड में रखना महत्वपूर्ण समझता हूं।“

डॉ. सिंह का पत्र -

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 18 अप्रैल को मोदी को लिखे एक पत्र में सुझाव दिया था कि "सरकार को टीका बनाने वालों को धन और अन्य रियायतें प्रदान करके अपनी विनिर्माण सुविधाओं का विस्तार करने के लिए सक्रिय रूप से समर्थन करना चाहिए।"

मुख्यमंत्रियों की पीएम को पाती -

दिल्ली और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखकर वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने के लिए कोविशील्ड और कोवैक्सिन के फॉर्मूले को सक्षम दवा कंपनियों के साथ साझा करने का सुझाव दिया था।

आपको बता दें सड़क परिवहन और राजमार्ग, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री गडकरी ने 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के पूरा होने पर भी संशय जताया था।

प्रतीकात्मक चित्र।
तो पीएम का सपना पूरा करना होगा मुश्किल - गडकरी

गडकरी अंदाज -

मौजूदा भारतीय जनता पार्टी में डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी के अलावा नितिन गडकरी ही उन गिने चुने लीडर्स में से एक हैं जो अपनी ही पार्टी और सरकार के शीर्ष नेतृत्व पर परोक्ष कटाक्ष करने के लिए जाने जाते रहे हैं। विपक्षी सदस्यों ने कई बार संसद में गडकरी को "सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले" मंत्री के रूप में सराहा है।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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