जानिये कोरोना संकट में सीता से मिला आर्थिक वरदान कब, कितना होगा फलीभूत...

भारत के केंद्रीय बजट 2020-21 में किसके लिए क्या है? बजट के बाद क्या हैं विशेषज्ञों-जानकारों, उद्योग जगत की राय? संग जानिये पड़ताल में।
बजट की बाधा की सकुशल पार।
बजट की बाधा की सकुशल पार।Syed Dabeer Hussain - RE

BUDGET 2021

  • मिला सीतारमण का वरदान

  • किसको भूलीं, किसे याद रखा

  • FM की आर्थिक टीका का सार

  • बजट आम लेकिन OPCs क्यों खास?

राज एक्सप्रेस। कोरोना त्रासदी से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को सदी के बजट से ढेरों उम्मीदें थीं। बेपटरी आर्थिक गतिविधियों, संसाधनों और घटती जीडीपी के साथ राजकोषीय घाटा संतुलन बनाने का दुरूह काम केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष था। मीडिया से जानकारों ने क्या कहा जानिये...

ये थी आस –

तमाम अर्थशास्त्री आशा कर रहे थे कि इस बार के बजट में खपत और पैसों के आवंटन में संतुलन के लिए कदम उठाने बेहद जरूरी हैं। चाहे इसके लिए कर्ज़ या घाटे की सीमा का उल्लंघन ही क्यों न करना पड़े। रोजगार सृजन के साथ अर्थव्यवस्था की दिशा में भी एक्सपर्ट्स ने साहसिक कदम लेने की सलाह वित्त मंत्री को दी थी।

बजट के बाद -

अर्थव्यवस्था की नब्ज को जानने वालों की राय में सोमवार 1 फरवरी 2021 को प्रस्तुत किया गया भारत की केंद्रीय सरकार का आम बजट एक तरह से इंडियन सेंट्रल गवर्नमेंट का साहसिक कदम है।

राजकोषीय घाटा -

एक्सपर्ट्स की राय है कि राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 6.8% रखना सरकार का बहुत साहसिक कदम है। विशेषज्ञ पहले उम्मीद कर रहे थे कि यह 5 से 5.5 फीसद के मध्य रहेगा। हालांकि इससे अर्थव्यवस्था पर कर्ज और ब्याज का बोझ जरूर बढ़ सकता है लेकिन इसके दूरगामी परिणाम भी होंगे।

अर्थतंत्र में अधिक धन का निवेश खास तौर पर पूंजीगत निवेश किसी भी राष्ट्र के लिए लाभकारी होता है। परिणाम स्वरूप रोजगार सृजन के साथ ही जीडीपी ग्रोथ में भी उछाल आती है। बजट में ऐसे ही प्रयास किए गए हैं।

- सीतू तिवारी, आर्थिक मामलों के जानकार (समाचार माध्यम से चर्चा में)

कुछ हिट/कई मिस -

केंद्रीय बजट में कुछ हिट्स जबकि कई नुकसान वाली बात की जा रही है। खास तौर पर भारत की आईटी इंडस्ट्री और स्टार्टअप सेक्टर्स की इस नफा-नुकसान पर अपनी राय है। इंडस्ट्री के विकास के लिए भारत की केंद्रीय सरकार के 50 हजार करोड़ रुपयों के आबंटन के दृष्टिकोण की टेक इंडस्ट्री लीडर्स ने सराहना की है।

लेकिन शिकायत भी -

इंडस्ट्री को आस थी कि स्पेशल इकोनॉमिक जोन यानी विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड-SEZ) से बाहर काम करने वाली कंपनियों के साथ ही कर छूट और कर्मचारी-संबंधी उपायों में नीति-संबंधी स्पष्टता होगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। विस्तार से पढ़ने के लिए शीर्षक पर क्लिक करें - चाइना छोड़ने वाली कंपनियों के लिए “सेज़” तैयार

डीपीआईआईटी (DPIIT) में पंजीकृत 4000 में से केवल 400 स्टार्ट-अप ही कर अवकाश (टैक्स हॉलिडेज) का लाभ उठा पाएंगे। इसके अलावा, शेयरों के निहित होने तक करों की छूट से संबंधित कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ईएसओपीएस) के कर लाभों की चिंता की बात भी अनसुनी रह गई।

आशीष अग्रवाल, प्रमुख, सार्वजनिक नीति, नैसकॉम (समाचार माध्यम से चर्चा में)

वन पर्सन कंपनी (OPCs) -

यानी एक व्यक्ति कंपनी (OPCs) के पंजीकरण के लिए भुगतान-पूंजी और टर्नओवर पर कोई प्रतिबंध नहीं है। साथ ही एनआरआई के मामले में अनुपालन बोझ कम करना स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सकारात्मक कदम माना जा रहा है।

दो लाख से अधिक का भला –

COVID-19 महामारी और लॉकडाउन के दौरान असफलताओं का सामना करने के बाद, अब केंद्रीय बजट 2021 के सहारे से भारत के स्टार्टअप सेगमेंट को बढ़ावा मिलेगा।

2 करोड़ रुपये तक की पूंजी रखने वाली कंपनियों को छोटी कंपनियों की श्रेणी में शामिल कर वर्तमान सीमा को बढ़ाकर 50 लाख रुपये और इसके भीतर करने का लाभ दो लाख से भी ज्यादा कंपनियों को मिलेगा।

के. गणेश, सीरियल एंटरप्रेन्योर और प्रमोटर, बिग बास्केट (समाचार माध्यम से चर्चा में)

परिभाषा बदलने की खुशी -

स्टार्टअप इकोसिस्टम को इस बजट की कई घोषणाओं से लाभ होगा, जिसमें एक-व्यक्ति कंपनियों की अनुमति, अनिवासी भारतीयों को भारत में काम शुरू करने के लिए प्रोत्साहन, और छोटी कंपनियों की परिभाषा में बदलाव शामिल हैं। विस्तार से पढ़ने के लिए शीर्षक पर क्लिक करें - विश्व बैंक ने माना भारत में व्यापार इतना आसान

पूंजीगत लाभ में छूट के लिए समय सीमा का विस्तार एक और स्वागत योग्य कदम है। स्टार्टअप्स टैक्स हॉलिडे के विस्तार का एक और वर्ष तक उपयोग कर सकते हैं क्योंकि वे COVID-19 महामारी द्वारा लगाई गई नकदी प्रवाह की चुनौतियों से उबर पाएंगे।

खुलेंगी राहें -

“OPCs को अनुमति देने से उद्यमशीलता और नवाचार के रास्ते खुलेंगे। यह भारत को यूएस और यूके से स्टार्टअप इकोसिस्टम के साथ एसएमई के मामले में प्रतिस्पर्धा देगा।”- स्वास्तिक निगम, संस्थापक और सीईओ, विनवेस्टा (समाचार माध्यम से चर्चा में)

सीईओ निगम लाभ गिनाते हुए बताया कि सरकार का यह कदम उन अपेक्षाओं को दूर करता है कि भारत में कंपनियों के पास दो शेयर धारक होने की अनिवार्यता है। इस कारण अक्सर परिवार के सदस्य, जो पेशेवर नहीं हैं, कंपनी में लाए जाते हैं।

सरकार की पहल -

सरकार ने धन और रोजगार बढ़ाने और भारत में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र की मदद करने के विचार के साथ साल 2016 में स्टार्टअप इंडिया की पहल की थी। विस्तार से पढ़ने के लिए शीर्षक पर क्लिक करें - कितनी चिंता करना चाहिए भारत को चाइनीज कंपनियों से?

एक्सपर्ट्स की राय -

विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने स्टार्टअप के लिए, कर अवकाश का एक और वर्ष बहुत प्रासंगिक नहीं हो सकता है क्योंकि वे वर्तमान में अच्छी तरह से वित्त पोषित होंगे और कर का भुगतान करना उनके लिए चुनौतीपूर्ण नहीं हो सकता है।

“स्टार्टअप जो अच्छी तरह से वित्त पोषित नहीं किए गए हैं, उन्होंने कर अवकाश की समय-सीमा को पार कर लिया है। नए और नवोदित स्टार्टअप के लिए यह निश्चित रूप से आत्मविश्वास बढ़ाने वाली विशेषता के रूप में कार्य कर सकता है।”

नीतेश साल्वी, संस्थापक और सीईओ पॉकेट 52 (समाचार माध्यम से चर्चा में)

"लेकिन एक अच्छे उद्यमी और नागरिक के रूप में, मैं अभी भी परिचालन लागत को कम करने और करों को बचाने के बजाय मुनाफे को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहूंगा।"

रोजगार -

विश्लेषकों का मानना ​​है कि स्टार्टअप और इनोवेटर्स को पेड-अप कैपिटल और टर्नओवर मानदंडों से छूट देने के लिए एक व्यक्ति कंपनी (ओं) को अनुमति देने की योजना शुरू करने की घोषणा भी अधिक रोजगार उत्पन्न करने में मदद करेगी।

"बिना किसी प्रतिबंध के एक व्यक्ति कंपनियों को प्रोत्साहित करने का कदम सही दिशा में एक कदम है। यह उन लोगों को प्रोत्साहित करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा, जो नए व्यवसायों को स्थापित करने के लिए आगे आएंगे, जो दिन की चुनौती को हल करेंगे और देश के भीतर उच्च क्षमता वाले स्टार्टअप कार्यस्थिति का संवर्धन करेंगे।”

कुनाल लखेरा, उपाध्यक्ष, वित्त और संचालन, Pocket Aces (समाचार माध्यम से चर्चा में)

कुछ की उम्मीदों पर खरा नहीं -

कई विशेषज्ञों को यह भी लगता है कि बजट ने कुछ पहलुओं को तो छुआ, लेकिन कई पहलुओं से चूक गए। वो पहलू जो भारतीय स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण थे, जो दुनिया का तीसरा सबसे मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र है।

“कर के नजरिए से पूंजीगत लाभ पर लंबी अवधि की छूट की संरचना शुरू करने से अधिक मदद मिलती। बजट में लाभांश और कोई पूंजी कर तंत्र नहीं है।"

एस. मेद्दा, फाउंडर, CBO एवं CFO, डीलशेयर (समाचार माध्यम से चर्चा में)

उन्होंने बताया कि, ऐसी स्थिति वेंचर कैपिटलिस्टों द्वारा वित्त पोषित कंपनियों को अपने कार्यों में अधिक कार्यशील पूंजी का उपयोग करने में मदद कर सकती है।

सलाह यह भी -

मेद्दा ने कंपनियों पर अनुपालन बोझ को कम करने के लिए सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा कि एक नियामक दृष्टिकोण से, बजट में कंपनी पंजीकरण, जीएसटी पंजीकरण, कंपनी निगमन, दुकान स्थापना आदि जैसे पहलुओं के लिए स्टार्ट-अप और छोटे व्यवसायों हेतु एकल-खिड़की निकासी ढांचा बनाने पर ध्यान देना चाहिए, जो मददगार होगा।

उड़ान के वक्त कोरोना के बोझ ने रोका -

दरअसल पिछले कार्यकाल की सफलता के बाद इस पारी में जब सरकार का आर्थिक विमान उड़ान भरने की तैयारी में था उस वक्त कोरोना के बोझ ने गति पर ब्रेक लगा दिया। विस्तार से पढ़ने के लिए शीर्षक पर क्लिक करें - दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत

Budget 2021 पेश करने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को ऐसे समय बहीखाते का बखान करना था जब देश के सामने तमाम चुनौतियां थीं। फिर भी पेश किया गया बजट बिजनेस सेक्टर में सरकार और महिला वित्त मंत्री का साहसिक कदम माना जा रहा है।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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