पतंजलि के दावे विचाराधीन क्यों हैं?, कोरोनिल के बाद शहद पर सवाल!

पूर्णतः स्वदेशी समर्थित महंगी उत्पाद श्रृंखला वाले उत्पाद संगठन पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रॉडक्ट्स पर सवाल क्यों उठते हैं?
इम्यून पॉवर बढ़ाने के दावों के साथ पतंजलि के कई प्रॉडक्ट दुकानों से लेकर वर्चुअल ऑनलाइन मार्केट प्लेटफॉर्म पर मौजूद हैं।
इम्यून पॉवर बढ़ाने के दावों के साथ पतंजलि के कई प्रॉडक्ट दुकानों से लेकर वर्चुअल ऑनलाइन मार्केट प्लेटफॉर्म पर मौजूद हैं।Syed Dabeer Hussain - RE

हाइलाइट्स –

  • कहीं दावे जल्दबाजी तो नहीं?

  • पहले पलटना पड़ा है दावों से!

  • कोरोनिल किट पर उठे थे सवाल!

  • इस दफा शहद की गुणवत्ता पर प्रश्न!

राज एक्सप्रेस। दुनिया में कोरोना वायरस महामारी उन्नीस (कोविड-19covid-19) के साये में दवा कारोबार की चमक और बढ़ गई है। आयुर्वेदिक कंपनियों के बड़े बाजार में आज एके (AK) (आयुष क्वाथ ayush kwath) और सीके (CK) (कोरोना किट corona kit) का डंका पिट रहा है।

ये दोनों क्या हैं –

दरअसल कोरोना कालखंड के बीच इस साल 4 जुलाई, 2020 को केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने नोवल कोरोना वायरस संक्रमण महामारी से बचाव के लिए आयुष क्वाथ और गिलोय चाय के नाम से दो इम्यूनिटी बूस्टर्स पेश किए।

कहानी यहीं से हुई शुरू –

आयुष मंत्रालय ने साहस बढ़ाया तो इम्यूनिटी बूस्टर्स का दावा करके तमाम अवसरवादी आयुर्वेदिक कंपनियों ने भी आयुष क्वाथ और गिलोय के टैबलेट, चूर्ण, पेय और तेल जैसे विकल्प पेश करने में देर न लगाई।

पतंजलि ने बना दी दवा!

पतंजलि ने तो अवसर पर जारी अंधी दौड़ में एक कदम आगे छलांग लगाकर दवा ही बना डाली। पहले तो कंपनी ने पतंजलि कोरोनिल से कोरोना वायरस बीमारी के उपचार का दावा किया फिर जब आयुष विभाग ने सख्ती दिखाई तो कोरोनिल ‘दवा’ ‘इम्यूनिटी बूस्टर’ बताकर बेची जाने लगी।

इम्यूनिटी बूस्टर्स फॉर्मुलेशन पर चिंता –

altnews.in/ पर फैक्ट चेक शीर्षक के डॉक्टर शर्फरोज सतानी और डॉ. सुमैया शेख के लेख में आयुष क्वाथ और अन्य इम्यूनिटी बूस्टर्स फॉर्मुलेशन पर चिंता जताई गई है। इसमें उल्लेख है कि; मंत्रालय ने बिना जांच और लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखे आयुष क्वाथ जैसे फॉर्मुलेशन के बड़े स्तर पर उत्पादन के लिए प्रेरित किया।

डॉक्टर द्वय ने आर्टिकल में चिंता जताई है कि; ऐसा लगता है जैसे कोविड-19 जैसी बीमारियों में बिना किसी आधार के इम्यूनिटी बूस्टर लाने के खतरों से आयुष विभाग अनजान है। लेख में बताया गया है कि अत्यधिक सक्रिय इम्यूनिटी लोगों की जान ले रही है।

एके के खतरे के प्रति आगाह करते हुए लिखा गया है कि आयुष क्वाथ के दीर्घकालिक उपयोग से स्वस्थ लोगों में भी कई साइड इफेक्ट हो सकते हैं।

इम्यूनिटी का रोल –

जिस इम्यूनिटी सिस्टम के बूते पूरे आयुर्वेदिक बाजार का खेल रचा गया है आखिर वो क्या बला है? तो पहले इसे समझ लेते हैं। दरअसल मानव शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति जन्मजात होती है, कुछ में कम ताकतवर, कुछ में सामान्य तो कुछ में शक्तिशाली। रोगों से लड़ने के तंत्र को ही प्रतिरक्षा तंत्र या इम्यूनिटी सिस्टम का नाम दिया गया है।

प्रचलित मान्यता के मुताबिक इम्यून सिस्टम के कमजोर पड़ने पर ही इंसान बीमार होता है। इसे मजबूत करके डॉक्टर मरीज को स्वस्थ करते हैं। हालांकि किडनी की बीमारी सरीखे मामलों में इम्यूनिटी पॉवर को बढ़ाने के बजाए कम करके भी इलाज करने की युक्ति प्रचलित है।

इम्यूनिटी बूस्टर्स के खतरे –

भले ही आयुष क्वाथ में लौंग, अदरक, काली मिर्च, गिलोय जैसी प्राकृतिक चीजों का मिश्रण हो लेकिन इसके उपयोग से इम्यूनिटी को बूस्ट करने के भी खतरे हैं। बगैर डॉक्टरी परामर्श या फिर शारीरिक परीक्षण के इम्यूनिटी बूस्ट करने वाले टैबलेट, चूरन या द्रव्य के सेवन से कोरोना पीड़ित या संभावित पीड़ित व्यक्ति को लेने के देने भी पड़ सकते हैं।

विस्तार से जानने चमक रहे नीले शीर्षक पर क्लिक करें - आयुष क्वाथ के साइड इफेक्ट संभव, आयुर्वेदिक कंपनियों के दावों की पड़ताल

कोरोना किट –

देखो और फटाफट बुक करो, घर बैठो खरीदो की सुविधा वाले ऑनलाइन बाजार में पतंजलि कोरोनिल स्वासारी किट ऑफर्स के साथ बेची जा रही है। कोरोनिल+स्वासारी+अनु तैल की तीन शीशियों के पैक को पतंजलि ने कोरोनिल स्वासारी किट नाम दिया है, जो कि एक इम्यूनिटी बूस्टर मात्र है।

इम्यूनिटी नियंत्रण -

दरअसल, कई रिसर्च में दावा है कि कमजोर इम्यूनिटी वाले कोरोना वायरस से जल्दी प्रभावित होते हैं। ऐसे में डॉक्टर और एक्सपर्ट की सलाह है कि इम्यूनिटी को नियंत्रित रखा जाए।

इम्यून पॉवर कैसे करें नियंत्रित? –

सिटी सिविल हॉस्पिटल शुजालपुर में इंचार्ज डॉ. राजेश तिवारी बताते हैं कि नियमित खान-पान और अनुकूल प्राकृतिक माहौल से प्रतिरक्षा तंत्र को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

“शरीर के लिए आवश्यक नींद, नियंत्रित खान-पान के साथ ही धूप का नियमित संपर्क भी आम तौर पर मानव के इम्यून सिस्टम को शक्ति प्रदान करने में मददगार है। लेकिन व्यस्तता के कारण दिनचर्या प्रभावित होने से सप्लीमेंट के तौर पर रेडीमेड इम्यून बूस्टर्स का उपयोग निर्देशित तरीके से करने से भी प्रतिरक्षा तंत्र को नियंत्रित किया जा सकता है।”

डॉ. राजेश तिवारी, एमबीबीएस, इंचार्ज, सिविल हॉस्पिटल सिटी, शुजालपुर (मध्यप्रदेश)

फिर महंगा क्यों खरीदना –

गौर करने वाली बात यह है कि यदि आयुष क्वाथ और कोरोनिल किट जैसे इम्यून बूस्टर्स के फार्मुलेशन में मिश्रित चीजें जब घर पर ही मौजूद हों तो कंपनी निर्मित महंगी दवाओं पर बड़ी राशि क्यों खर्च करना?

दरअसल ये सभी चूरन, टैबलेट्स, दवाएं ब्रांड्स की हैसियत के हिसाब से दो, तीन, पांच सौ से लेकर हजारों रुपये तक की कीमत की हैं। इतना ही नहीं इन दवाओं, उपायों के दावों और क्लीनिकल ट्रायल के साथ मिश्रण में मिश्रित तत्वों की स्थायी मात्रा तक सवालों के दायरे में रही हैं।

कहना गलत नहीं होगा कि; कंपनियों के दावे यदि कोरे हैं तो फिर कोरोना जनित खतरे से खौफजदा जनता की गाढ़ी मेहनत की कमाई को जमकर लूटा जा रहा है। क्योंकि हाल ही में कई नामी कंपनियों के शहद की शुद्धता जांच के घेरे में नजर आई है।

शहद में घोल दी चासनी! –

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (Centre for Science and Environment-CSE) यानी विज्ञान और पर्यावरण केंद्र ने शहद के नमूनों पर चिंता जताई है।

मात्र पांच नमूने पास -

देश के 13 शीर्ष और भारत में बेचे जाने वाले प्रसंस्कृत और कच्चे शहद के छोटे ब्रांडों के शहद के सैंपल को खाद्य शोधकर्ताओं ने प्राथमिक जांच में अमानक पाया है। जांच निष्कर्ष के मुताबिक 77 फीसदी नमूनों में चासनी की मिलावट की गई। कुल 22 नमूनों की जांच में से मात्र पांच सैंपल ही परीक्षण में मानक पाए गए।

इन ब्रांड्स पर सवाल! -

वेबसाइट आउटलुकइंडिया (Outlookindia) की रिपोर्ट के मुताबिक डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू, हितकारी और एपिस हिमालय सरीखे प्रमुख ब्रांडों के शहद के नमूने एनएमआर (न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस) परीक्षण में विफल रहे।

हालांकि इमामी (झंडू), डाबर, पतंजलि आयुर्वेद और एपिस हिमालय ने सीएसई के दावों का खंडन किया है और उत्पादों को मानक बताया है।

बात गुणवत्ता की –

शहद जैसे द्रव्य में अमानक मिश्रण से कंपनियों के निर्माण के तरीकों पर सवाल उठ रहे हैं कि कोरोना जैसी बीमारी के रक्षक बताए जा रहे आयुष क्वाथ, कोरोनिल किट आदि के फार्मुलेशन में क्लीनिकल ट्रायल के अभाव में कितनी सतर्कता बरती गई होगी?

दरअसल सीएसई अध्ययन जारी होने के एक दिन बाद, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने कंपनियों से शहद के परीक्षणों का विवरण मांगा था। यहां यह भी सवाल उठा कि शहद के निर्धारित परीक्षण क्यों नहीं किए गए?

अब ग्राहक को खुद तय करना है कि वह कोरोना से बचने का उपाय बताए जा रहे आयुर्वेदिक कैप्सूल, टैबलेट, चूरन, जूस, कोरोनिल किट पर आंख मूंद कर भरोसा कर जेब ढीली करे। या फिर सादा जीवन उच्च विचार वाली संयमित दिनचर्या के साथ अपने प्रतिरक्षा तंत्र को खुद ही नियंत्रित कर जेब खर्च को भी कंट्रोल करे।

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डिस्क्लेमर आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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